14-9-1949 |
संविधान सभा ने हिंदी
को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। इस दिन को अब हिंदी दिवस के रूप
में मनाया जाता है । |
26-01-1950 |
संविधान लागू हुआ ।
तदनुसार उसमें किए गए भाषाई प्रावधान (अनुच्छेद 120, 210 तथरा 343 से 351) लागू
हुए । |
27-05-1952 |
राज्यपालों/उच्चतम
न्यायालय के न्यायाधीशों तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्तियों
में अंग्रेजी भाषा के अतिरक्ति हिंदी भाषा व भारतीय भाषा अंकों के अन्तरराष्ट्रीय
स्वरूप के अतिरिक्त अंकों के देवनागरी स्वरूप का प्रयोग प्राधिकृत किया गया । |
जुलाई 1952 |
हिन्दी शिक्षण योजना
की स्थापना केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों, संबद्ध व अधीनस्थ
कार्यालयों के कर्मचारियों के लिए सेवाकालीन प्रशिक्षण। |
07.6.1955 |
बी.जी.खेर आयोग का
गठन (संविधान के अनुच्छेद 344 (1) के अंतर्गत) |
अक्टूबर 1955 |
गृह मंत्रालय के
अंतर्गत हिन्दी शिक्षण योजना प्रारंभ गयी । |
03.12.1955 |
संविधान के अनुच्छेद
343(2) के पंरतुक द्वारा दी गयी शक्तियों का प्रयोग करते हुए संघ के कुछ कार्यो
के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिन्दी भाषा का प्रयोग किये जाने के आदेश
जारी किये गये । |
31.7.1956 |
खेर आयोग की रिपोर्ट
राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत की गयी । |
31.7.1957 |
सितंबर 1957 खेर आयोग की रिपोर्ट पर
विचार हेतु तत्कालीन गृहमंत्री श्री गोविन्द बल्लभ पंत की अध्यक्षता में
संसदीय समिति का गठन । |
08.2.1959 |
संविधान के अनुच्छेद
344(4) के अंतर्गत संसदीय समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत की गयी
। |
सितंबर ,1959 |
संसदीय समिति की
रिपोर्ट पर संसद में बहस हुई तथा तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू
द्वारा आश्वासन दिया गया कि अग्रेंजी को सह भाषा के रूप में प्रयोग लाए जाने
हेतु कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं किया जाएगा और न ही इसके लिए कोई समय सीमा
निर्धारित की जाएगी। भारत की सभी भाषाएं समान रूप से आदरणीय है और ये हमारी राष्ट्रभाषाएं
है । |
1960 |
हिन्दी शिक्षण योजना
के अंतर्गत हिंदी टंकण हिंदी आशुलिपि का अनिवार्य प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। |
1960 |
संसदीय समिति की
रिपोर्ट पर राष्ट्रपति के आदेश जारी किए गए जिनमें हिंदी शब्दावलियों का
निर्माण, संहिताओं
व कार्यविधिक साहित्य का हिंदी अनुवाद, कर्मचारियों को
हिन्दी का प्रशिक्षण, हिन्दी प्रचार, विधेयकों की भाषा, उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयों
की भाषा आदि मुद्दें है। |
10.5.1963 |
अनुच्छेद 343(3) के
प्रावधान व श्री जवाहर लाल नेहरू के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए राजभाषा
अधिनियम बनाया गया इसके अनुसार हिंदी संघ की राजभाषा व अंग्रेजी सह-भाषा के रूप
में प्रयोग में लाई गई है। |
05.9.1967 |
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता
में केन्द्रीय हिंदी समिति का गठन किया गया। यह समिति सरकार की राजभाषा नीति के
संबंध में महत्वपूर्ण दिशा- निर्देश देने वाली सर्वोच्च समिति है इस समिति में
प्रधानमंत्री जी के अलावा नामित केन्द्रीय मंत्री, कुछ राज्यों के मुख्य
मंत्री, सांसद तथा हिंदी एवं अन्य भाषाओं के विद्वान सदस्य
के रूप में शामिल किए जाते है। |
16.12.1967 |
संसद के दोनों सदनों
द्वारा राजभाषा संकल्प पारित किया गया जिसमें हिंदी के राजकीय प्रयोजनों हेतु
उत्तरोत्तर प्रयोग के लिए अधिक गहन और व्यापक कार्यक्रम तैयार करने, प्रगति की समीक्षा के लिए
वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने, हिंदी के साथ-साथ
8वीं अनुसूची की अन्य भाषाओं के समन्वित विकास के लिए कार्यक्रम तैयार करने,
त्रिभाषा सूत्र को अपनाएं जाने, संघ सेवाओं
के लिए भर्ती के समय हिंदी व अंग्रेजी में से किसी एक ज्ञान की आवश्यकता
अपेक्षित होने तथा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा उचित समय पर परीक्षा के लिए संविधान
की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित सभी भाषाओं तथा अंग्रेजी को वैकल्पिक माध्यम के
रूप में रखने की बात कही गई है। (संकल्प 18.1.1968 को भारत के राजपत्र में
प्रकाशित हुआ ) |
10.04.1967 |
सिंधी भाषा संविधान
की आठवीं अनुसूची मं सम्मिलित की गई । |
08.1.1968 |
राजभाषा अधिनियम, 1963 में संशोधन किए गए।
तदनुसार धारा 3(4) में यह प्रावधान किया गया कि हिंदी में या अंग्रेजी भाषा में
प्रवीण संघ सरकार के कर्मचारी प्रभावी रूप से अपना काम कर सकें तथा केवल इस आधार
पर कि वे दोनों ही भाषाओं में प्रवीण नहीं है, उनका कोई
अहित न हो। धारा 3(5) के अनुसार संघ के सरकारी प्रयोजनों में अंग्रेजी भाषा के प्रयोग
समाप्त कर देने के लिए आवश्यक है कि सभी राज्यों के विधान मंडलों द्वारा
(जिनकी राजभाषा हिंदी नहीं है ) ऐसे संकल्प पारित किए जाएं तथा उन संकल्पों पर
विचार करने के पश्चात अंग्रेजी भाषा का प्रयोग समाप्त करने के लिए संसद के
हरेक सदन द्वारा संकल्प पारित किया जाए। |
1968 |
राजभाषा संकल्प 1968
में किए गए प्रावधान के अनुसार वर्ष 1968-69 से राजभाषा हिंदी में कार्य करने के
लिए विभिन्न मदों के लक्ष्य निर्धारित किए गए तथा इसके लिए वार्षिक कार्यक्रम
तैयार किया गया । |
01.3.1971 |
केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो
का गठन । |
1973 |
केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो
के दिल्ली स्थित मुख्यालय में एक प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना। |
1974 |
तीसरी श्रेणी के नीचे
के कर्मचारियों, औद्योगिक
प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को छोड़कर केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के
साथ-साथ केन्द्र सरकार के स्वामित्व एवं नियंत्राधीन निगमों, उपक्रमों, बैकों आदि के कर्मचारियों व अधिकारियों
के लिए हिंदी भाषा, टंकण एवं आशुलिपि का अनिवार्य प्रशिक्षण
। |
जून 1975 |
राजभाषा से संबंधित
संवैधानिक, विधिक
उपबंधों के कार्यान्वयन हेतु राजभाषा विभाग का गठन किया गया। |
1976 |
राजभाषा नियम बनाए गए। |
1976 |
संसदीय राजभाषा समिति
का गठन हुआ और तब से अब तक समिति ने अपनी रिपोर्ट के नौ भाग प्रस्तुत किए है सभी नौ पर राष्ट्रपति के आदेश जारी हो गये है। |
1977 |
श्री अटल बिहारी
वाजपेयी, तत्कालीन
विदेश मंत्री ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा को हिंदी में संबोधित
किया। |
1981 |
केन्द्रीय सचिवालय
राजभाषा सेवा संवर्ग का गठन किया गया। |
25.10.1983 |
केन्द्रीय सरकार के
मंत्रालयों, विभागों,
सरकारी उपक्रमों, राष्ट्रीयकृत बैंकों में यांत्रिक
और इलेक्ट्रोनिक उपकरणों द्वारा हिंदी में कार्य करने को बढ़ावा देने तथा उपलब्ध
द्विभाषी उपकरणों के प्रचार – प्रसार के उददेश्य
से राजभाषा विभाग मे तकनीकी कक्ष की स्थापना की गई। |
21.8.1985 |
केन्द्रीय हिन्दी
प्रशिक्षण संस्थान का गठन कर्मचारियों /अधिकरियों को हिन्दी भाषा, हिन्दी टंकण और हिन्दी
आशुलिपि के पूर्ण कालिक गहन प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किया गया । |
1986 |
कोठारी शिक्षा
रिपोर्ट – 1968 में पहले ही यह सिफारिश की जा चुकी थी कि भारत में शिक्षा का माध्यम
भारतीय भाषाएं होनी चाहिए। उच्च शिक्षा के माध्यम के संबध में नई शिक्षा नीति
1986 के कार्यान्वयन – कार्यक्रम में कहा गया
है कि स्कूल स्तर पर आधुनिक भारतीय भाषाएं पहले ही
शिक्षण माध्यम के रूप में प्रयुक्त हो रही है । आवश्यकता इस बात की है कि
विश्व विद्यालय के स्तर पर इन्हे उत्तरोत्तर माध्यम के रूप में अपना लिया
जाए। इसके लिए अपेक्षा यह
है कि राज्य सरकारें, विश्व
विद्यालय अनुदान आयोग परामर्श करके, सभी विषयों में और सभी
स्तरों पर शिक्षण माध्यम के रूप में उत्तरोत्तर आधुनिक भारतीय भाषाओं को
अपनाएं। |
1986-87 |
इंदिरा गांधी राजभाषा
पुरस्कार प्रारंभ किए गए। |
09.10.1987 |
राजभाषा नियम, 1976 में संशोधन किए गए। |
1988 |
विदेश मंत्री के रूप
में संयुक्त राष्ट्र की जनरल एसेम्बली में तत्कालीन विदेश मंत्री श्री
नरसिंह राव जी हिन्दी में बोले। |
1992 |
कोकणी, मणिपुरी व नेपाली भाषाएं
संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित की गई । |
14.9.1999 |
संघ की राजभाषा हिंदी
की स्वर्ण जयंती मनाई गई। |
24.1.2000 |
राजभाषा विभाग के
पोर्टल का लोकार्पण माननीय गृहमंत्री जी द्वारा किया गया जिसमें विभाग से
संबंधित विभिन्न जानकारियों के अतिरिक्त पहली बार हिन्दी में ई-मेल, वार्तालाप(chat) और खोज (Search) की सुविधा उपलब्ध कराई
गई। वार्तालाप के द्वारा प्रयोगकर्ता समस्याओं का समाधान प्राप्त करने के
साथ-साथ महत्वपूर्ण सुझाव भी दे सकता है। पोर्टल में उपलब्ध सूचनाओं को ‘खोज’ सुविधा के माध्यम से आसानी से खोजा जा
सकता है । |
20.20.2000 |
राष्ट्रीय ज्ञान
विज्ञान की मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार वर्ष 2001-02 से आंरभ करने की घोषणा की
गई । जिनमें निम्न पुरस्कार राशियां रखी गई – 1)
प्रथम पुरस्कार - 1,00000 2)
द्वितीय पुरस्कार- 75,000 3)
तृतीय पुरस्कार - 50,000 4)
10 सांत्वना पुरस्कार- 10,000 |
02.9.2003 |
डा. सीता कान्त
महापात्र की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया जो संविधान की आठवीं
अनुसूची मे अन्य भाषाओं को सम्मिलित किए जाने तथा आठवीं अनुसूची में सभी भाषाओं
को संघ की राजभाषा घोषित किए जाने की साध्यता परखने पर विचार करेगी। समिति ने
14.6.2004 को अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की। |
2004 |
बोडो, डोगरी, मैथिली
एवं संथाली भाषा को अष्टम अनुसूची में जोड़ा गया |
14.09.2017 |
लीला सॉफ्टवेयर का
मोबाइल एप का उद्घाटन माननीय राष्ट्रपति जी द्वारा |
31.10.2019 |
जम्मू-कश्मीर और
लद्दाख दो अलग-अलग संघ राज्य के रूप में अस्तित्व में आ गया। इस प्रकार भारत के
09 संघ राज्य क्षेत्र हो गए। |
26.01.2020 |
दादरा-नगर हवेली और
दमन-दीव को एकीकृत करके एक संघ राज्य क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आ गया। |
26.01.2020 |
भारत में वर्तमान में
08 संघ राज्य क्षेत्र (दिल्ली, अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह, चण्डीगढ़ दादरा-नगर
हवेली एवं दमन-दीव, लक्षद्वीप, पुदुचेरी, जम्मू और कश्मीर (5 अगस्त 2019 को
घोषित और 31 अक्टूबर 2019 से प्रभावी) तथा लद्दाख़ (5 अगस्त 2019 को घोषित और 31
अक्टूबर 2019 से प्रभावी) हो गए हैं। |
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